रूस और यूक्रेन के बीच जारी युद्ध का स्वरूप जितना सैन्य और राजनीतिक है, उतना ही आर्थिक भी है। फरवरी 2022 में रूस द्वारा यूक्रेन पर शुरू किए गए हमले को लेकर दुनिया भर में अनेक विश्लेषण हुए हैं – कोई इसे नाटो के विस्तार की प्रतिक्रिया बताता है, तो कोई इसे रूस की साम्राज्यवादी सोच का परिणाम मानता है। परंतु एक और महत्वपूर्ण पहलू जिस पर मैं आपका ध्यान केंद्रित कर राहा हूँ - क्या रूस के इस हमले के पीछे यूक्रेन के विशाल और बहुमूल्य खनिज संसाधन एक प्रमुख कारण हो सकते हैं? यूक्रेन, भले ही भूगोलिक दृष्टि से एक अपेक्षाकृत छोटा देश हो, लेकिन खनिज संसाधनों के मामले में यह अत्यंत समृद्ध है। इसमें कई ऐसे खनिज पाए जाते हैं जो आधुनिक तकनीक, उद्योग और ऊर्जा क्षेत्र के लिए रणनीतिक महत्व रखते हैं। यूक्रेन के प्रमुख खनिज संसाधन जो है - मैंगनीज और लौह अयस्क (Iron Ore and Manganese) यूक्रेन यूरोप में लौह अयस्क और मैंगनीज का एक प्रमुख स्रोत है। इसका उपयोग भारी मात्रा में इस्पात उत्पादन में किया जाता है। यूक्रेन की खनिज बेल्ट में विशेष रूप से क्रिवी रीह (Kryvyi Rih) क्षेत्र में भारी मात्रा में लौह अयस्क उपलब्ध है। यही इस्पात निर्माण रूस, यूरोप और वैश्विक स्तर पर बुनियादी ढांचे के विकास, रेल, जहाज और युद्धक उपकरणों के निर्माण के लिए जरूरी है। ग्रेफाइट और लिथियम (Graphite and Lithium) ग्रेफाइट का उपयोग विशेषकर बैटरियों में और लिथियम का उपयोग इलेक्ट्रिक वाहनों, स्मार्टफोन और ऊर्जा भंडारण उपकरणों में किया जाता है। दुनिया भर में जैसे-जैसे इलेक्ट्रिक मोबिलिटी और हरित ऊर्जा की ओर रुझान बढ़ा है, वैसे-वैसे लिथियम और ग्रेफाइट जैसे खनिजों की मांग भी तेजी से बढ़ी है। यूक्रेन इस दिशा में एक उभरती हुई महाशक्ति बन सकता था – जो रूस के लिए एक रणनीतिक चुनौती बन सकती थी। यूरेनियम (Uranium) यूक्रेन के पास परमाणु ईंधन के रूप में यूरेनियम का महत्वपूर्ण भंडार है। चूंकि यूक्रेन स्वयं एक परमाणु शक्ति नहीं है, लेकिन इसके पास कई परमाणु रिएक्टर हैं, और यह अपने यूरेनियम भंडार के लिए अन्य देशों पर भी आश्रित रहा है। रूस के लिए यूरेनियम की आपूर्ति को नियंत्रित करना रणनीतिक रूप से अहम हो सकता है, विशेषकर तब जब पश्चिमी देश यूक्रेन के साथ परमाणु ऊर्जा सहयोग की कोशिशें कर रहे थे। टाइटेनियम और बेरिलियम (Titanium and Beryllium) टाइटेनियम का उपयोग एयरोस्पेस, रक्षा और चिकित्सा उपकरणों में होता है। टाइटेनियम न केवल हल्का और मजबूत होता है, बल्कि जंग प्रतिरोधी भी होता है, जिससे इसका उपयोग युद्धक विमानों और अंतरिक्ष अभियानों में होता है। यूक्रेन टाइटेनियम का एक प्रमुख उत्पादक है, और रूस भी इसके लिए आंशिक रूप से यूक्रेन पर निर्भर रहा है। इसके अतिरिक्त, यूक्रेन के पास कोयला, निकेल, तांबा, सोना, और दुर्लभ धातुएं भी हैं, जिनका उपयोग सिरेमिक, कांच, धातु प्रसंस्करण और अन्य उद्योगों में होता है। अब प्रश्न यह उठता है कि क्या इन खनिज संसाधनों को रूस ने यूक्रेन पर आक्रमण के अपने रणनीतिक एजेंडे में शामिल किया था? रूस स्वयं भी खनिजों से भरपूर देश है, लेकिन यूक्रेन की खनिज संपदा को नियंत्रित करने के कई कारण हो सकते हैं: यूक्रेन का खनिज उत्पादन, विशेषकर उच्च तकनीकी खनिज जैसे लिथियम और टाइटेनियम, यदि पश्चिमी देशों के सहयोग से विकसित हो जाता, तो वह रूस के लिए एक दीर्घकालिक खतरा बन सकता था। रूस यह नहीं चाहता कि यूक्रेन पश्चिमी तकनीक और पूंजी के साथ अपने संसाधनों का उपयोग करके एक आर्थिक शक्ति बने। यूरोप या अमेरिका द्वारा सैन्य, ऊर्जा और टेक्नोलॉजी सेक्टर में किया जाता तो यह रूस की प्रतिस्पर्धात्मक स्थिति को कमजोर कर सकता था। खनिज संसाधनों पर नियंत्रण वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में प्रभुत्व स्थापित करने का तरीका है। चीन की तरह, यदि रूस यूक्रेन के इन रणनीतिक खनिजों को अपने प्रभाव क्षेत्र में ले आता, तो वह पश्चिमी देशों की निर्भरता को नियंत्रित कर सकता।सवाल ही की क्या यह एकमात्र प्रमुख कारण था? हालांकि यह मान लेना कि केवल खनिज संसाधन ही युद्ध का प्रमुख कारण हैं, तो ये बात ठीक नहीं हो सकता है। रूस के यूक्रेन पर हमले के पीछे कई परतें हैं: रूस कई वर्षों से पश्चिमी देशों द्वारा यूक्रेन को नाटो में शामिल करने की संभावनाओं को लेकर चिंतित रहा है। पुतिन ने कई बार यूक्रेन को रूस का ऐतिहासिक हिस्सा बताया है और इसे एक कृत्रिम राष्ट्र कहा है। यूक्रेन की सरकार का यूरोपीय संघ और अमेरिका के साथ नज़दीकी बनाना रूस के लिए असहनीय हो गया था।डोनबास क्षेत्र की लड़ाई जो पूर्वी यूक्रेन के रूसी भाषी इलाकों में संघर्ष पहले से ही चल रहा था, और रूस ने इन्हीं क्षेत्रों को संरक्षण के नाम पर हमला तेज किया। मेरा निष्कर्ष यही निकलता है की - यह कहना गलत नहीं होगा कि यूक्रेन के खनिज संसाधन रूस के लिए रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण हैं , और संभवतः युद्ध के कई कारणों में से एक महत्वपूर्ण आर्थिक कारण यही हो सकता है। विशेषकर जब दुनिया हरित ऊर्जा, इलेक्ट्रिक वाहनों और उन्नत रक्षा तकनीक की ओर बढ़ रही है, तब यूक्रेन जैसे खनिज समृद्ध देश का नियंत्रण किसी भी वैश्विक शक्ति के लिए एक मूल्यवान संपत्ति बन जाता है। इसलिए, रूस का यूक्रेन पर हमला केवल सैन्य, सांस्कृतिक या भू-राजनीतिक नहीं, बल्कि आर्थिक और खनिजीय नियंत्रण की महत्वाकांक्षा से भी प्रेरित प्रतीत होता है। जब खनिजों के जरिए भविष्य की तकनीकों और सत्ता संतुलन तय होते हैं, तब यूक्रेन की खदानें सिर्फ ज़मीन का टुकड़ा नहीं, बल्कि भविष्य की रणनीतिक लड़ाइयों का केंद्र बन जाता ।
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